"Happy Friendship Day"


_____A Tiny Story______


सुहास बचपन से ही काफी अंतर्मुखी किस्म का लड़का था। School से college के समय तक आते - आते उसके ज्यादा दोस्त नही बने या कहे ना के बराबर थे। लेकिन आज college के hostel मे पहला कदम रखते ही उसकी मुलाकात समीर से हुयी। जो उसका room mate था और उसके बिल्कुल विपरीत था। 


देखते - देखते दोनों एक दूसरे के एक अच्छे दोस्त बन गए थे। सुहास अपने अंदर छिपी बातों को बख़ूबी दबा लेता और समीर एक भी बात उसे बताये बिना रह नही पाता, और ये बात सुहास अच्छे से समझता था। और अब उनकी दोस्ती को एक साल पुरा होने को आया था। 


गुजरते वक्त के साथ college मे एक और शख्स ने कदम रखा जो था निजाम। निजाम सुहास और समीर का junior था। एक दिन जब वो library में दाखिल हो रहा था तो उसकी भीड़न्त समीर से हुई जो काफी किताबे हाथ मे लिए गुजर रहा था। देखते - देखते सारी किताबे फर्श पर बिखर गयी। 


निजाम - "मुझे माफ करना, मैंने देखा नही।" समीर - "कोई बात नही। गलती मेरी ही थी। वैसे मेरा नाम समीर है।" निजाम - "मुझे पता है। मै आपका junior हूँ। आप मुझे नही जानते लेकिन मैंने आपको Orientation Prograam में देखा था।" समीर - "ohh Good Good." इसी के साथ दोनो मे जान पहचान के साथ एक नयी दोस्ती की शुरुआत हो जाती है। उसे college मे कोई भी help चाहिए होती तो वो senior होने के नाते समीर से लेता। 


इधर सुहास कई दिनों के लिए Hostel छोड़ कर अपने घर गया था। सुहास की अनुपस्थिति में समीर का एक ही साथी था वो था निजाम। दोनो साथ कैंटीन में खाते और अब वो hostel उनके रूम मे भी आने लगा था। दोनो को एक दूजे का साथ बहुत अच्छा लगता, लेकिन दोनो ही नही जानते थे कि दोनो की एक दूसरे के लिए पसंदिगी कुछ और ही है और इस एहसास को एक दिन हवा मिल गयी। 


आज Friendship Day था और समीर सुहास को बहुत याद कर रहा था। इस वजह से वो थोड़ा उदास था लेकिन जब निजाम समीर को friendship day wish करने Hostel आया तो उसने देखा समीर चुपचाप बैठा था। वजह जान कर उसने उसका mood ठीक करने के लिए वही रुकना बेहतर समझा। room मे बातें करते - करते समीर ने निजाम के लिए एक अजीब सा आकर्षण महसूस किया। 


उसका निजाम का यूँ समय देना अच्छा लग रहा था। लेकिन अब निजाम को घर जाना था। उसके निकलने से पहले बिदा लेते वक़्त समीर ने उसे गले से लगा लिया। कुछ समय तक तो ठीक था लेकिन लम्बे समय तक न छोड़ने पर निजाम को भी अजीब सा लगने लगा। देखते ही देखते समीर ने अपने होंठ निजाम के लबो पे रख दिये। समय के बहाव मे निजाम भी बह गया, और पलक झपकते ही दोनो एक हो गए। 


कुछ समय बाद सुहास room के दरवाजे पे खड़ा था, और सामने का दृश्य देख दंग था। निजाम बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया। लेकिन सुहास समीर को सवालिया निगाह से घूर रहा था। सुहास कुछ कहता इससे पहले समीर बोल पड़ा "I am Gay and I Love Nijaam".ये शब्द सुन सुहास को झटका सा लगा। वो बिना कुछ कहे तेज कदमो से चल कर बाहर आने लगा। उसकी आँखों मे आँसू थे। 


समीर उसके पीछे - पीछे उसे पुकार रहा था लेकिन खिन्न सुहास अपनी ही धुन मे चलता हुआ hostel के बाहर road पर आ गया। समीर उसे रोकता तब तक सामने से तेज रफ्तार में आती एक गाड़ी ने सुहास को टक्कर मार दी। समीर दौड़ कर खून मे लथपथ सुहास का सर अपनी गोद मे रखता है जो मन्द - मन्द मुस्कुरा रहा था। सुहास - Happy Friendship Day. ये तीन शब्द बोलते ही उसने उसी पल दम तोड़ दिया। कुछ दिनों बाद hostel खाली करते वक्त समीर को एक कागज का टुकड़ा मिला। जिस पर सुहास की hand writing में Friendship को काट कर उसकी जगह लिखा था Love. समीर सन्न रह गया और उसके आँखों से आँसु छलक गए।

___The End___


Writer - Nits












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