"Tum Mere Kyu Nahi"

 

(A Tiny Story)

टूटे हुए जज्बात तब तक जिंदा रहते है जब तक उम्मीद जिंदा रहती है जैसे उसकी थी। मैं बात कर रहा हूँ नाविक की। Naavik 23 साल का एक student था जिसके कुछ खास सपने नही थे क्योंकि उसकी साँसे कम थी। जी हाँ उसे सांस की समस्या थी, जिसका इलाज शहर के एक बड़े  अस्पताल में चल रहा था।

वो सप्ताह मे दो से तीन बार routine check up के लिए जाता था। क्योकि वहाँ जा कर ही उसके सांस में सांस आती। वो भी Doctor Shubhankar को देख कर। Shubhankar 27 साल के युवक थे वो ही उसका इलाज कर रहे थे। लेकिन वो Naavik के मन की मंशा को कभी नही भांप पाए कि वो उन्हे मन ही मन पसंद करता है।

एक दिन नाविक को Shubhankar से मिलने का जुनून सवार हुआ लिहाजा वो बिना appointment लिए ही उनसे मिलने जा पहुँचा। लेकिन अस्पताल को सराय का डेरा था नही के जो मुँह उठाये एक Doctor से मिलने चला आये। अतः उसे लंबा इंतजार करना पड़ा। अब उसके सब्र का बांध टूट रहा था।

इधर दूसरी तरफ Naavik के पिता नाविक को घर पर ना पा कर चिंतित हुए। उनके द्वारा Naavik को phone लगाने पर पता चला के वो अस्पताल में है। लेकिन पूरी बात वो जान पाते उससे पहले ही Naavik ने phone cut कर दिया क्योकि वो किसी और ही सोच और जुनून में था। Naavik के पिता उसकी इस तरह अचानक अस्पताल जाने की बात पर बहुत परेशान हुए कि कहीं कोई बड़ी समस्या तो नही।

वो भी अपने बेटे को देखने के लिए अस्पताल के लिए निकल पड़े। इधर अस्पताल में अब Naavik को Shubhankar से रूबरू होने का समय आ गया था। वो झल्ला सा Subhankar के room me दाखिल हुआ और तरेरती नजरों से उसे देखने लगा। Doctor Shubhankar : "बोलो Naavik अचानक यहाँ आने की वजह, तुम्हे कोई तकलीफ है सांस लेने में?

Naavik : "हाँ, और आप ने इतना समय क्यों लगा दिया अगर मुझे कुछ हो जाता तो।
Doctor Shubhankar : Don't worry मैं अभी तुम्हारी breathing check करता हूँ, बेड पर लेट जाओ।" Naavik वैसा ही करता है। Shubhankar उसका checkup कर रहे थे और वो उन्हें ही घूरे जा रहा था। लेकिन अब Shubhankar से इतनी नजदीकी ऊस मदहोश करने लगी थी। वो बिना सोचे उनको अपनी तरफ खींच कर उनके गालो और होंठो को चूम बैठता है।

हैरान Shubhankar एक दम से पीछे हटते है।
Doctor Shubhankar: "ये क्या कर रहे हो नाविक? " Naavik : " I Love You मै आपसे प्यार करता हूँ।" Doctor Shubhankar : "गलत है ये मैं एक लड़का हूँ और शादीशुदा भी।" ये बात जान कर वो अपने शुद्ध बुद्ध खोने लगता है और और उसकी साँसें फूलने लगती है। देखते देखते वो गश्त खाकर गिर जाता है।  और अब उसकी साँसें भी नही चल रही थी।

इतने मे Naavik के पिता आ जाते है और अपने बेटे को मरा हुआ पा कर पूरे अस्पताल को सर पे उठा लेते है और अपने बेटे की मौत का इल्जाम अस्पताल Doctor पर डालने लगते है। अस्पताल के Head Doctor Shubhankar से पूछते है कि ये सब कैसे हुआ लेकिन Shubhankar कुछ नही समझा पाते उन्हे समाज में होने वाली बेज्जती का डर था। कि कैसे एक लड़का होकर एक लड़के ने उसे चूमा, कैसे एक लड़के ने उसके प्यार का इजहार किया। लिहाजा नाविक के पिता के द्वारा हंगामा करने पर और अस्पताल की reputation बनी रहे इसलिए Subhankar को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है।

अतः Naavik का जुनून भरा समलिंगी आकर्षण Shubhankar के medical profession के लिये दाग बन गया। Naavik की उम्मीद टूटने से उसकी साँसें टूट गयी । इसलिए दिल की बात बोलने का एक सही समय, एक सही लम्हा होता है।

"यदि कोई मनचाहा कार्य कीजिये, पहले उसपर विचार कीजिये; बिना विचारे काम होगा, कभी ना अच्छा परिणाम होगा।"

*****The End*****

Writer - Nits














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